A Step Towards...
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प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी “दशहरा” का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जायेगा। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक स्वरूप रावण का वध किया जायेगा। किंतु सदियो से इसको जो हम मनाते हैं, क्या समाज में बुराई का अंत हो पाया है? समाज में खुले आम घूम रहे ‘दानवो’ का अंत कब होगा? ऐसा मानना है कि दशहरा पर सिर्फ रावण का दहन करने से सारी बुराई खत्म हो जाती है, बल्कि पहले की अपेक्षा और मज़बूती से बुराइयां सर उठा लेती है। आज बेटियों का घर से निकलना मुश्किल होता जा रहा है। उन पर बुरी नज़र से देखने वाले कौन सा मुखौटा लगा कर सामने आ जाये पता ही नही चलता है। क्या कभी ऐसा समय भी आ पायेगा जिसमे प्रतीक स्वरूप नही बल्कि सच में अच्छाई की विजय होगी? क्या हम ऐसे समाज की कल्पना कर सकते है जिसमे डर, अपमान, भ्रष्टाचार, इत्यादि बुराई का नाश हो जायेगा?
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